Somnath Mandir: 6 बार आक्रमण के बाद भी अडिग खड़ा है भगवान सोमनाथ का भव्य मंदिर

Somnath Mandir: वेद-पुराणों में भगवान शिव को सृष्टि का पालनहार कहा गया है। न केवल भारत में बल्कि देश-विदेशों में भी महादेव के कई मठ-मंदिर स्थापित हैं। सनातन धर्म में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों (12 Jyotirling in India) को विशेष महत्व दिया गया है।
यह ज्योतिर्लिंग देश के विभिन्न कोनों में स्थापित हैं। इनमें से एक है ऐतिहासिक 'सोमनाथ मंदिर' (Somnath Mandir), जहां कई बार आक्रमण हुए। लेकिन आज भी यह मंदिर अपने सौंदर्य और आस्था के लिए विश्व भर में प्रख्यात है।
माना जाता है कि सोमनाथ मंदिर पर 5 से अधिक बार आक्रान्ताओं ने आक्रमण किए थे। लेकिन आस्था के सामने अधर्म की एक न चल सकी। यही कारण है कि आज भी यह मंदिर अपने अनगिनत शिवभक्तों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है।
आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ा इतिहास और कितनी बार इस मंदिर को पर आक्रमण हुए।
कहां है सोमनाथ मंदिर?
गुजरात प्रांत के काठियावाड़ क्षेत्र में भगवान सोमनाथ का विश्व प्रसिद्ध मंदिर स्थापित है। द्वादश ज्योतिर्लिंग में इनकी भी गणना होती है। इस ज्योतिर्लिंग की महिमा श्रीमद्भगवद्गीता, स्कंदपुराण और महाभारत जैसे कई वेद पुराणों में बताई गई है। किवदंतियों के अनुसार भगवान शिव को चंद्रदेव ने अपना स्वामी अर्थात नाथ मानकर तपस्या की थी।
इसलिए इस ज्योतिर्लिंग को सोमनाथ यानि 'चंद्र के स्वामी' के नाम से जाना जाता है/ मान्यता है कि भगवान सोमनाथ के दर्शन करने से और उनकी पूजा करने से भक्तों को जन्म-जन्मांतर के पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही उनके लिए मोक्ष का मार्ग खुल जाता है। ऋग्वेद में भी सोमेश्वर महादेव की महिमा को विस्तार से बताया गया है।
भगवान सोमनाथ का यह मंदिर 150 फीट ऊंचा है और गर्भगृह, सभामंडप और नृत्यमंडप इन तीन भागों में विभाजित है। इस मंदिर के शिखर पर स्थित कलश 10 टन वजनी है और यहां 27 फीट ऊंचा ध्वजा सदैव इस मंदिर की शोभा को बढ़ाता है।
कई बार हो चुका है इस मंदिर पर आक्रमण
इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर की भव्यता को देखकर आक्रांता मोहम्मद गजनी के मन में लालसा आ गई थी और उसने सन 1025 में मंदिर पर हमला किया था।
उसने मंदिर की सारी संपत्ति को लूट लिया और इस स्थान को लगभग नष्ट कर दिया था। इस मंदिर के रक्षा करते हुए कई लोगों ने अपनी जान गवाई थी। रक्षा के लिए सामने आए वह लोग इसी क्षेत्र के निवासी थे। इसके बाद इस मंदिर का जीर्णोद्धार गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने करवाया था।
जब गुजरात पर दिल्ली की सल्तनत का कब्जा हुआ तब एक बार फिर 1297 इस मंदिर पर अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति नुसरत खां ने हमला किया था और यहां की अमूल्य संपत्ति को लूटकर ले गया था। मंदिर को 1395 और 1412 में भी तोड़ा गया था। लेकिन जीर्णोद्धार का सिलसिला चलता रहा और श्रद्धालुओं में इस मंदिर के प्रति भक्तिभाव में कभी कमी नहीं आई।
औरंगजेब के समय में भी दो बार सोमनाथ मंदिर पर हमला हुआ था और इसे लगभग नष्ट कर दिया था। लेकिन तब भी हिंदू इस मंदिर में आकर पूजा अर्चना करते और भगवान सोमनाथ की आराधना करते थे। इस बात से नाराज होकर उसने यहां पर एक सैन्य टुकड़ी भेज कर कत्लेआम मचाया था।
वर्तमान काल में जो मंदिर हम आज देख रहे हैं वह भारत के पूर्व गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 1950 में बनवाया था। साथ पहली बार 1995 में भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र के शिवभक्तों को और जनता को सौंप दिया था।
6 बार आक्रमणों को सहने के बाद भी यह मंदिर आज भी अपने भव्यता और सुंदरता के लिए विश्व में प्रख्यात है।
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