Sawan 2023: शिव आस्था और भक्ति का पवित्र श्रावण, भगवान शिव को प्रिय है सावन का महीना

Sawan 2023: Holy Shravan of Shiva faith and devotion, the month of Sawan is dear to Lord Shiva
 
Sawan 2023: शिव आस्था और भक्ति का पवित्र श्रावण, भगवान शिव को प्रिय है सावन का महीना

शिव को प्रिय है सावन का महीना

Sawan 2023: सनातन धर्म में सावन माह का बहुत महत्व है इस महीने में भगवान शिव की पूजा बड़े प्रेम भाव से की जाती है, ऐसा माना गया है की सावन के महीने में भगवान शिव पृथ्वी पर अवतरित होते हैं और पृथ्वी का वातावरण शिव शक्ति और शिव की भक्ति से ओत प्रोत होता है, हमारे ऋग्वेद में भगवान शिव की पूजा अर्चना का वर्णन किया गया है और सावन के माह में भगवान शिव की भक्ति करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और हमारे दुखों का निवारण करते हैं। 

इस महीने में भगवान शिव के मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है और भक्त बड़े प्रेम भाव से भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं और उन पर जल चढ़ाते हैं। मान्यताओं के अनुसार कहा गया है कि जो भी भक्त सावन में नियमित रूप से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं और सावन में पड़ने वाले हर सोमवार का व्रत करते हैं, उनकी हर मनोकामना पूरी होती है।

इस साल यानी 2023 का सावन और भी विशेष होने वाला है क्योंकि 19 वर्षों बाद सावन मास और पुरुषोत्तम मास एक साथ आ रहे हैं। इसका अर्थ है कि देवों के देव महादेव और जगत के पालनहार भगवान विष्णु की शक्तियां आपस में मिलकर विश्व का कल्याण करेंगी।

भगवान शिव की पूजा का सर्वमान्य पंचाक्षर मंत्र:

"ॐ नमः शिवाय"

इस मंत्र के प्रारंभ में ॐ के संयोग से षडाक्षर हो जाता है, भोलेनाथ को शीघ्र ही प्रसन्न कर देता है। यह मंत्र शिव तथ्य है जो सर्वज्ञ, परिपूर्ण और स्वभावतः निर्मल है इसके समान अन्य कोई नहीं है। हृदय में 'ॐ नमः शिवाय' का मंत्र समाहित होने पर संपूर्ण शास्त्र ज्ञान एवं शुभकार्यों का ज्ञान स्वयं ही प्राप्त हो जाता है।

"ॐ पार्वतीपतये नमः"

इस मंत्र के जाप से भगवान भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती की कृपा भी मिलती है और विवाह में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं।

ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।'

शिव गायत्री मंत्र का पाठ सरल एवं अत्यंत प्रभावशील है। इस मंत्र का जाप हर किसी के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। 

महामृत्युंजय मंत्र-  भगवान शिव का सबसे शक्तिशाली मंत्र है। 

"ऊं त्रयम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं 

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मोक्षिय मामृतात्।"

कहते हैं कि इस मंत्र का जाप करने से वैभव व ऐश्वर्य की इच्छा पूरी होती है। ये एक ऐसा चमत्कारी मंत्र है, जिसका नित्य जाप करने से कुंडली में मौजूद दोष दूर हो जाते हैं।


सावन माह में भगवान शिव को जल चढ़ाने के संदर्भ में पांच पौराणिक तथ्य बताए गए हैं-

1. मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकण्डेय ने लंबी आयु के लिए सावन माह में ही घोर तप कर शिव की कृपा प्राप्त की थी, जिससे मिली मंत्र शक्तियों के सामने मृत्यु के देवता यमराज भी नतमस्तक हो गए थे।


 
2. भगवान शिव को सावन का महीना प्रिय होने का अन्य कारण यह भी है कि भगवान शिव सावन के महीने में पृथ्वी पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गए थे और वहां उनका स्वागत अर्घ्य और जलाभिषेक से किया गया था। माना जाता है कि प्रत्येक वर्ष सावन माह में भगवान शिव अपनी ससुराल आते हैं। भू-लोक वासियों के लिए शिव कृपा पाने का यह उत्तम समय होता है।

3. पौराणिक कथाओं में वर्णन आता है कि इसी सावन मास में समुद्र मंथन किया गया था। समुद्र मथने के बाद जो हलाहल विष निकला, उसे भगवान शंकर ने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की; लेकिन विषपान से महादेव का कंठ नीलवर्ण हो गया। इसी से उनका नाम 'नीलकंठ महादेव' पड़ा। विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया। इसलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने का ख़ास महत्व है। यही वजह है कि श्रावण मास में भोले को जल चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। 

4. 'शिवपुराण' में उल्लेख है कि भगवान शिव स्वयं ही जल हैं। इसलिए जल से उनकी अभिषेक के रूप में अराधना का उत्तमोत्तम फल है, जिसमें कोई संशय नहीं है।


 
5. शास्त्रों में वर्णित है कि सावन महीने में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। इसलिए ये समय भक्तों, साधु-संतों सभी के लिए अमूल्य होता है। यह चार महीनों में होने वाला एक वैदिक यज्ञ है, जो एक प्रकार का पौराणिक व्रत है, जिसे 'चौमासा' भी कहा जाता है; तत्पश्चात सृष्टि के संचालन का उत्तरदायित्व भगवान शिव ग्रहण करते हैं। इसलिए सावन के प्रधान देवता भगवान शिव कहे जाते हैं।

Declaration:- यह लेख धार्मिक विश्वास और प्रचलित मान्यताओ पर आधारित है।