Narasimha Jayanti: नरसिंह जयंती आज, इस दिन का है विशेष महत्व, जानिए पौराणिक कथा

Narasimha Jayanti 2023 Date: वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरसिंह जयंती मनाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार आज के दिन ही भगवान विष्णु ने नरसिंह भगवान के रूप में अपना पांचवा अवतार लिया था।

 
Narasimha Jayanti: नरसिंह जयंती आज, इस दिन का है विशेष महत्व, जानिए पौराणिक कथा

Narasimha Jayanti 2023: वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरसिंह जयंती मनाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार आज के दिन ही भगवान विष्णु ने नरसिंह भगवान के रूप में अपना पांचवा अवतार लिया था।

विष्णु भगवान ने यह अवतार अधर्म और अहंकार का नाश करने के लिए लिया था। श्री हरि के सभी अवतारों में नरसिंह अवतर को बहुत ही उग्र माना गया है। हालांकि अपने भक्तों के लिये वो सदैव सौम्य रूप में ही रहते हैं।

नरसिंह जयंती 4 मई यानी आज मनाई जा रही है। भगवान नरसिंह की आराधना से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक बल की प्राप्ति होती है। भगवान का यह अवतार मन से सभी भय को दूर करता है। इस रूप के पूजन से शत्रुओं का नाश होता है।

भगवान नरसिंह की पूजा से जीवन में आ रही सारी बाधाएं दूर होती हैं और भगवान की कृपा मिलती है। इस दिन कुछ मंत्रों का जाप हर समस्या से छुटकारा दिलाता है।

नरसिंह जयंती पर करें इन मंत्रों का जाप

एकाक्षर नृसिंह मंत्र : 'क्ष्रौं'

नृम नृम नृम नर सिंहाय नमः।

त्र्यक्षरी नृसिंह मंत्र : 'ॐ क्ष्रौं ॐ'

षडक्षर नरसिंह मंत्र : 'आं ह्रीं क्ष्रौं क्रौं हुं फट्'

अष्टाक्षर नृसिंह : 'जय-जय श्रीनृसिंह'

ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।

दस अक्षरी नृसिंह मंत्र: 'ॐ क्ष्रौं महा-नृसिंहाय नम:'

नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्॥

तेरह अक्षरी नरसिंह मंत्र: 'ॐ क्ष्रौं नमो भगवते नरसिंहाय'

नरसिंह गायत्री मंत्र: 'ॐ उग्र नृसिंहाय विद्महे, वज्र-नखाय धीमहि। तन्नो नृसिंह: प्रचोदयात्।'

इसलिए लिया नृसिंह अवतार


कश्यप ऋषि के दो पुत्रों में से एक का नाम हिरण्यकश्यप था। उसने कठोर तपस्या से ब्रह्माजी को प्रसन्न कर आशीर्वाद प्राप्त किया था कि उसे कोई देवता, देवी, नर, नारी, असुर, यक्ष या कोई अन्य जीव मार नहीं पाएगा। न दिन में, न रात में, न दोपहर में, न घर में, न बाहर, न आकाश और न ही पाताल में, न ही अस्त्र से और न ही शस्त्र से। यह वरदान प्राप्त करके वह खुद को ईश्वर समझ बैठा था।

हिरण्यकश्यप अपनी प्रजा को स्वयं की पूजा करने के लिए दबाव डालने लगा, जो उसकी पूजा नहीं करता उसे वह तरह तरह की यातनाएं देता था। वह भगवान विष्णु के भक्तों पर क्रोध करता था। हिरण्यकश्यप का एक पुत्र था, जिसका नाम प्रह्लाद था। वह भगवान विष्णु का परमभक्त था।


जब इसकी जानकारी हिरण्यकश्यप को हुई तो उसने प्रह्लाद को समझाया। उसने अपने बेटे से कहा कि उसके पिता ही ईश्वर हैं, वह उनकी ही पूजा करे। लेकिन हिरण्यकश्यप के बार-बार मना करने पर भी प्रह्लाद ने भगवान विष्णु की भक्ति नहीं छोड़ी।हिरण्यकश्यप ने इसे अपना अपमान समझ कर प्रह्लाद को मारने के लिए कई यत्न किए, लेकिन श्रीहरि विष्णु की कृपा से वह बच जाता।

अंत में हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठने के लिए मनाया। होलिका को वरदान मिला था कि आग से उसका बाल भी बांका नहीं होगा। लेकिन जब होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठी, तो श्रीहरि की कृपा से वह स्वयं उस आग में जल गई और प्रह्लाद बच गया।

अंत में क्रोधित हिरण्कश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को खंभे से बांध कर उसे मारने के लिए अपनी तलवार निकाली और बोला बता तेरा भगवान कहां है, प्रहलाद ने कहा कि भगवान यहीं इसी खंबे में  हैं, जहां आपने मुझे बांध रखा है।

जैसे ही हिरण्कश्यप ने प्रह्लाद को मारना चाहा, वैसे ही भगवान विष्णु  नृसिंह का अवतार लेकर खंभे से बाहर निकल आए और हिरण्कश्यप का वध कर दिया।

ऐसे करें पूजा


इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल में एक चौकी पर लाल, श्वेत या पीला वस्त्र बिछाकर उस पर भगवान नृसिंह और मां लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

भगवान नृसिंह की पूजा में पंचामृत, फल, पुष्प, पंचमेवा, कुमकुम केसर, नारियल,अक्षत व पीतांबर का प्रयोग करें। भगवान नृसिंह के मंत्र ऊं नरसिंहाय वरप्रदाय नम: मंत्र का जाप करें। ठंडी चीजें दान में दें।  

भगवान नृसिंह की पूजा का फल


भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए  भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार का पूजन अवश्य करना चाहिए। पद्म पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के इस रौद्र रुप की पूजा करने से पाप खत्म हो जाते हैं और परेशानियां भी दूर होती हैं।


जिस प्रकार विष्णुजी ने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की उसी प्रकार किसी भी प्रकार के  संकट के समय भगवान नृसिंह को याद करने से भक्तों को संकट से तुरंत मुक्ति मिलती है। जो भक्त नृसिंह जयंती के दिन भगवान नृसिंह का विधि विधान से पूजन करते हैं उन्हें शत्रुओं पर विजय मिलती है। कोर्ट कचहरी संबंधी मामलों में जीत हासिल होती है।


भगवान नृसिंह की पूजा से मनोबल बढ़ता है जिससे आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, नकारात्मकता दूर होती है एवं शौर्य,तेज और बल प्राप्त होता है।

नरसिंह जयंती की पूजा विधि 

आज नरसिंह भगवान की पूजा के लिए सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अब पूरी आस्था के साथ भगवान नरसिंह और माता लक्ष्मी का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। भगवान नरसिंह के मंत्रों का जाप करें और उनके नाम की 11 मालाएं करें।

लाल कपड़े में नारियल लपेट कर भगवान को अर्पित करें. उन्हें मिठाई, फल, केसर, फूल और कुमकुम चढ़ाएं. नरसिंह जयंती के दिन नरसिंह स्तोत्र का पाठ जरूर करें। अंत में आरती उतारें और भोग को प्रसाद के रूप वितरित करें।