Mahila Naga Sadhu: क्या पुरुषों की तरह ही निर्वस्त्र होती हैं महिला नागा साधु? जानिए इनकी रहस्यमयी दुनिया की कहानी

 
Mahila Naga Sadhu: क्या पुरुषों की तरह ही निर्वस्त्र होती हैं महिला नागा साधु? जानिए इनकी रहस्यमयी दुनिया की कहानी

प्रयागराज का माघ मेला पिछले दो साल कोरोना महामारी की वजह से फीका रहा था लेकिन इस बार मेले में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ होने वाली है। 

इसी बीच मेले में नागा साधु भी स्नान के लिए आ रहे हैं, कड़कड़ाती ठंड में भी नागा साधु निर्वस्त्र रहते हैं। इनसे जड़ी कई तरह की बातें जो जो लोगों ने सुनाई हैं, लेकिन उनकी दुनिया करीब से देखेंगे तो काफी मुश्किल होती है। एक आम व्यक्ति को नागा साधुओं को रहस्यमयी दुनिया में जाने के लिए पहले कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता है।


बता दें कि जब कोई आम इंसान नागा साधु बनना चाहता है तो उसकी छान-बीन होती है। यह छान-बीन अखाड़ा समिति की तरफ से अपने स्तर पर की जाती है कि यह साधु बनने योग्य है या नहीं। 

इसके साथ ही जब अखाड़ा समित पूरी तरह से संतुष्ट हो जाती है तो उस व्यक्ति को अखाड़े में एट्री दी जाती है। इसके बाद फिर उसे जटिल परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है जिसमें सबसे पहले ब्रह्माचर्य शामिल है।

इसके लिए 6 महीने से एक साल का समय लग सकता है। जब ब्रह्मचर्य की परीक्षा पूरी होती है तो उसके बाद व्यक्ति को 5 गुरु- शिव, विष्णु, शक्ति, सूर्य और गणेश द्वारा दीक्षा मिलती है. इन गुरू को पंच देव कहते हैं।

वहीं नागा साधु बनने वाला व्यक्ति सांसरिक जीवन को छोड़कर आध्यात्मिक जीवन में कदम रखता है। इतना ही नहीं वह नागा साधु बनने से पहले स्वयं का पिंडदान करते हैं। इसके अलाव नागा साधु भिक्षा में मांगा हुआ भोजन ही करते हैं और जब उन्हें भोजन नहीं मिलता तो वह बिना खाए ही रहते हैं।

नागा साधुओं को आजीवन निर्वस्त्र रहना होता है, क्योंकि इनकी दुनिया में वस्त्र को सांसारिक जीवन और आडंबर का प्रतीक माना जाता है। इसलिए वह वस्त्रों का भी त्याग करते हैं और अपने शरीर को ढकने के लिए शरीर पर भस्म का उपयोग करते हैं।

जानिए कैसे बनती हैं महिला नागा साधु


पुरुष नागा साधु नग्न रह सकते हैं, लेकिन महिला नागा साधु को इसकी इजाजत नहीं होती है। पुरुष नागा साधुओं में वस्त्रधारी और दिगंबर (निर्वस्त्र) होते हैं। महिलाओं को भी दीक्षा दी जाती है और नागा बनाया जाता है, लेकिन वह सभी वस्त्रधारी होती हैं। महिला नागा साधुओं को अपने मस्तक पर तिलक लगाना जरूरी होता है। लेकिन वह गेरुए रंग का सिर्फ एक कपड़ा पहन सकती हैं जो सिला हुआ नहीं होता है। इस वस्त्र को गंती कहा जाता है।  


नागा बनने की प्रकिया है बेहद कठिन


महिला नागा साधुओं के बनने की प्रक्रिया के बारे में जानने के बाद आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे। महिला नागा साधुओं की जिंदगी बेहद कठिन होती है। नागा साधु बनने कि लिए इनको कड़ी परीक्षा से गुजरना होता है। नागा साधु या संन्यासनी बनने के लिए 10 से 15 साल तक कठिन ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी होता है। नागा साधु बनने लिए अपने गुरु को यकीन दिलाना होता है कि वह इसके योग्य हैं और अब ईश्वर के प्रति समर्पित हो चुकी हैं। इसके बाद गुरु नागा साधु बनने की स्वीकृति देते हैं। 

नागा साधु बनने से पहले महिला की बीते जीवन के बारे में जाना जाता है। यह देखा जाता है कि वह ईश्वर के प्रति समर्पित है या नहीं। नागा साधु बनने के बाद कठिन साधना कर सकती है या नहीं। नागा साधु बनने से पहले महिला को जीवित रहते अपना पिंडदान करना होता है और मुंडन कराना पड़ता है।


इसके बाद महिला को नदी में स्नान कराया जाता है। महिला नागा साधु पूरा दिन भगवान का जाप करती हैं और सुबह ब्रह्ममुहुर्त में उठ कर शिवजी का जाप करती हैं। शाम को दत्तात्रेय भगवान की पूजा करती हैं। दोपहर में भोजन के बाद वह शिवजी का जाप करती हैं। अखाड़े में महिला नागा साधु को पूरा सम्मान दिया जाता है। 


कुंभ मेले के दौरान नागा साधुओं के साथ ही महिला साधु भी शाही स्नान करती हैं। हालांकि, पुरुष नागा के स्नान करने के बाद वह नदी में स्नान करती हैं। अखाड़े की महिला नागा साधुओं को माई, अवधूतानी या नागिन कहकर बुलाया जाता है। लेकिन माई या नागिनों को अखाड़े के किसी प्रमुख पद के लिए नहीं चुना जाता है। 

नोट:- यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। यहां यह बताना जरूरी है कि todayhindi.news किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।