दुखी रहने के कारण और दुख दूर रखने के उपाय

दुखी रहने के कारण
1. देरी से उठना, देरी से जगना।
2. लेन-देन का हिसाब नहीं रखना।
3. कभी किसी के लिये कुछ नहीं करना।
4. स्वयं की बात को ही सत्य बताना।
5. किसी का विश्वास नहीं करना।
6. बिना कारण झूठ बोलना।
7. कोई भी काम समय पर नहीं करना।
8. बिना मांगे सलाह देना।
9. बीते हुए सुख को बार - बार याद करना।
10. हमेशा अपने लिये सोचना।
दुख दूर रखने के उपाय
दिमाग ठंडा हो, दिल में रहम हो,
जुबान नरम हो, आँखों में शर्म
हो तो फिर सब कुछ तुम्हारा है।
उठिए!
जल्दी घर के सारे, घर में होंगे पौबारा।
कीजिए!
मालिश तीन बार, बुध, शुक्रवार और सोमवार।
नहाइए!
पहले पाँव फिर हाथ एवं छाती ,पीठ फिर सिर
खाइए!
दाल, रोटी, चटनी कितनी भी हो कमाई अपनी।
पीजिए!
दूध खड़े होकर, दवा पानी बैठ कर।
खिलाइए!
मेहमान एवं गाय को रोटी, चाहे पतली हो या मोटी।
पिलाइए!
प्यासे को पानी, चाहे हो जावे कुछ हानि।
छोडिए !
अमचुर की खटाई, रोज की मिठाई।
करिए !
आयें का मान, जाते का सम्मान।
जाइए !
दुःख में पहले, सुख में पीछे।
भगाइए!
मन के डर को, बुड्डे वर को।
धोइए !
दिल की कालिख को, कुटुम्ब के दाग को।
सोचिए!
एकांत में, करो सबके सामने।
बोलिए!
कम से कम, कर दिखाओ ज्यादा।
चलिए !
तो अगाड़ी, ध्यान रहे पिछाड़ी।
सुनिए !
सबो की, करिये मन की।
बोलिए !
जबान संभल कर, थोडा बहुत पहचान कर।
सुनिए !
पहले पराए की, पीछे अपने की।
रखिए !
याद कर्ज के चुकाने की, मर्ज के मिटाने की।
भूलिए !
अपनी बड़ाई को और दूसरों की बुराई को।
छिपाइए!
उमर और कमाई, चाहे पूछे सगा भाई।
लीजिए !
जिम्मेदारी उतनी, सम्भाल सके जितनी।
धरिए !
चीज जगह पर, जो मिल जावे वक्त पर।
उठाइए !
सोते हुए को नहीं, गिरे हुए को।
लाइए !
घर में चीज उतनी, काम आवे जितनी।
गाइए !
सुख में राम को और
दुःख में सीताराम को।
पैसा बिस्तर दे सकता है... नींद नहीं;
पैसा भोजन दे सकता है... भूख नहीं;
पैसा अच्छे कपड़े दे सकता है...सुंदरता नहीं;
पैसा ऐशोआराम के साधन दे सकता है...पर सुकून नहीं।