यहाँ अपनी शादी में नहीं जाता दूल्हा, फिर कौन भरता है दुल्हन की मांग में सिंदूर?

 
यहाँ अपनी शादी में नहीं जाता दूल्हा, फिर कौन भरता है दुल्हन की मांग में सिंदूर?

Ajab Gajab News: दुनिया में शादियों से जुड़ी कई अजीबोगरीब परंपराएं हैं, जिसे लोग आज भी मानते हैं। कहीं दूल्हा-दुल्हन पर कीचड़ पोत दिया जाता है तो कहीं शादी में आए मेहमान दुल्हन के साथ डांस करते हैं। पर भारत में एक बेहद विचित्र परंपरा है, जिसमें दूल्हा अपनी ही शादी में शामिल नहीं होता है। 


वो अपने घर में रहकर अपनी दुल्हन का इंतजार करता है। क्या आप जानते हैं ये परंपरा कहां की है?


भारत में दूल्हा अपने रिश्तेदारों, गाजे-बाजे के साथ बारात लेकर जाता है और अपनी दुल्हनिया को ब्याह कर ले आता है। मगर भारत में ही एक ऐसी जगह है, जहां इस रिवाज का पालन नहीं होता है। क्योंकि यहां दूल्हा अपनी ही शादी में नहीं जाता?


हम बात कर रहे हैं गुजरात के कुछ गांवों की जहां ये प्रथा प्रचलित है। रिपोर्ट्स के अनुसार गुजरात के 3 आदिवासी गांवों में ये प्रथा है, जिसमें दूल्हा अपनी ही शादी में नहीं जाता है। 


वो शेरवानी-साफा पहनकर अपनी मां के साथ घर पर ही रहता है और अपनी दुल्हन के घर आने का इंतजार करता है।

यहाँ कुंवारी लड़कियां लाती हैं दुल्हन


यहां की प्रथा के अनुसार लड़के की कुंवारी बहन ही अपनी भाभी के मांग में सिंदूर भरती है और उसे ब्याह कर घर लाती है। अगर बहन ना हो तो परिवार की कोई भी कुंवारी सदस्य सिंदूर लगा सकती है।


तीन गांव की इस परंपरा में दूल्हा द्वारा किए जाने वाली सारी रस्में दुल्हन की बहन की करती है। यहां तक कि मंगल फेरे भी बहन लेती है।


यहां के लोगों का कहना है कि जब-जब इस परंपरा को अस्वीकार किया गया, तब-तब लोगों के साथ कुछ बुरा हुआ। उनकी शादी टूट गई या वैवाहिक जीवन सुखी नहीं बीता।


लोग ये भी कहते हैं कि अगर वो इसका पालन नहीं करते तो बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है।

क्या है ऐसी परंपरा का कारण?


इस परंपरा के पीछे लोग कुछ लोककथाओं को कारण मानते हैं। उनका मानना है कि सुरखेड़ा, सानदा और अंबल गांवों के ग्राम देवता कुंवारे हैं।


ऐसे में दूल्हा उन्हें सम्मान देने के लिए घर पर ही रहता है और अपनी बारात में शामिल नहीं होता। घर पर रहने से दूल्हा सुरक्षित और खुशहाल जिंदगी बिताता है।