साइलेंट रिफ्लक्स के लक्षण, जाने बच्चों को पहले क्या खिलाना है ज़रूरी?

 
साइलेंट रिफ्लक्स के लक्षण, जाने बच्चों को पहले क्या खिलाना है ज़रूरी?

शिशु में साइलेंट रिफ्लक्‍स एक कॉमन डिसऑर्डर है जो आमतौर पर शिशु के बढ़ने पर अपने आप ठीक हो जाता है। इस कंडीशन को लैरिनगोफेंरिंजिअल रिफ्लक्‍स भी कहते हैं। जब पेट का एसिड वापिस लैरिंक्‍स और नासिक मार्ग में चला जाता है, तब यह स्थिति उत्‍पन्‍न होती है। विशिष्ट संकेत और लक्षण नहीं होने के कारण इस स्थिति को "साइलेंट रिफ्लक्स" कहा जाता है।


नेशनल हेल्‍थ सर्विस के अनुसार रिफ्लक्स आमतौर पर बच्चे के 8 सप्ताह के होने से पहले शुरू होता है और जब तक वे 1 वर्ष के हो जाते हैं तब तक वे बेहतर हो जाता है। शिशुओं में रिफ्लक्‍स के लक्षणों में दूध पीने के दौरान या उसके तुरंत बाद बीमार होना, खाते समय खांसी या हिचकी आना, खाने के दौरान अस्थिर होना, रोना और शांत नहीं होना, पर्याप्त भोजन ना ले पाने के कारण वजन नहीं बढ़ पाना शामिल हैं।

अगर बेबी खुश, स्‍वस्‍थ है और उसका वजन ठीक से बढ़ रहा है, तो आमतौर पर रिफ्लक्‍स होने पर डॉक्‍टर को दिखाने की जरूरत नहीं होती है। आप डॉक्‍टर से बेबी के लिए सही ब्रेस्‍टफीडिंग पोजीशन या बोतल से दूध पिलाने के सही तरीके के बारे में पूछ सकती हैं। दूध पिलाते समय बेबी को सही तरह से पकड़ें और दूध पिलाने के बाद उसे डकार जरूर दिलवाएं। शिशु को पीठ के बल ही सुलाएं।

नवजात शिशुओं में अविकसित एसोफेजगल स्फिंक्टर्स होते हैं - अन्नप्रणाली के अंत में मांसपेशियां, जो भोजन नली से पेट में भोजन के मार्ग में मदद करती हैं। अविकसित एसोफेजल स्फिंक्टर्स पेट की सामग्री को अन्नप्रणाली में पीछे की ओर बहने देते हैं, जिससे रिफ्लक्स होता है।

फूड एलर्जी और इससे जुड़ी स्थितियां, जैसे गाय के दूध से एलर्जी, साइलेंट रिफ्लक्स को ट्रिगर कर सकती हैं। न्यूरोलॉजिकल समस्याएं कुछ शिशुओं में, विशेष रूप से सेरेब्रल पाल्सी वाले बच्चों में खाने की समस्या और साइलेंट रिफ्लक्स का कारण बन सकती हैं।


विशेषज्ञ शिशुओं को पीठ के बल सोने की सलाह देते हैं ताकि श्‍वसन मार्ग में रुकावट और अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) को रोका जा सके। हालांकि, भोजन करने के ठीक बाद पीठ के बल सोने से पेट की सामग्री बह सकती है।


जब तक शिशुओं को विशेष तरल आहार दिया जाता है, तब तक शिशुओं में साइलेंट रिफ्लक्स हो सकता है, क्योंकि ठोस पदार्थों की तुलना में तरल पदार्थों के पीछे जाने की संभावना अधिक होती है।


यदि आप स्तनपान करा रही हैं तो अपना आहार न बदलें। रिफ्लक्स को कम करने के लिए चीजों को आजमाने के बाद सुधार नहीं हो रहा है तो आप बच्‍चे को डॉक्‍टर को दिखाएं।

6 महीने के होने के बाद पहली बार रिफ्लक्स होता है या 1 साल से बड़े बच्‍चे को अभी भी रिफ्लक्स हो रहा है या वजन नहीं बढ़ रहा है या वजन कम हो रहा है तो आपको बेबी को डॉक्‍टर को दिखाना चाहिए।