ज्‍यादातर लोग नहीं जानते पानी पीने का सही तरीका?

जैसे ही प्यास लगती है हम गिलास लेते हैं या तुरंत फ्रिज से बोतल निकालते हैं। फिर तेजी से गट-गटकर एक साथ खूब सारा पानी पीने लगते हैं। कैसे- खड़े-खड़े।

 
ज्‍यादातर लोग नहीं जानते पानी पीने का सही तरीका?

जैसे ही प्यास लगती है हम गिलास लेते हैं या तुरंत फ्रिज से बोतल निकालते हैं। फिर तेजी से गट-गटकर एक साथ खूब सारा पानी पीने लगते हैं। कैसे- खड़े-खड़े।

वैसे तो अक्सर आपने बड़े-बुजुर्गों को भी ये कहते सुना होगा कि खडे़ होकर पानी न पियो। इससे परेशानी होगी। इस पर अमेरिका में भी एक रिसर्च हुई है।

तो आज खड़े होकर पानी पीने की रिसर्च और उससे जुड़े सभी सवालों पर बात करेंगे जरूरत की खबर में।

सवाल: गर्मी या सर्दी, अधिकतर लोग खड़े होकर पानी पीते हैं, ये सही है या गलत?


जवाब: ये तरीका बिल्कुल गलत होता है।

सवाल: अच्छा ये गलत तरीका है तो खड़े होकर पानी क्यों नहीं पीना चाहिए?


जवाब: नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) की एक रिसर्च के मुताबिक खड़े होकर पानी पीने से हमारे शरीर को सही तरह से न्यूट्रिएंट्स यानी पोषक तत्‍व नहीं मिल पाते हैं। क्योंकि इस तरह पानी पीने से, पानी मुंह से होते हुए बहुत तेजी से नीचे चला जाता है। जिससे लंग्स और हार्ट को भी नुकसान पहुंचता है।

साथ ही इससे फूड और विंड पाइप में होने वाली ऑक्सीजन की सप्लाई रुक जाती है।

सवाल: खड़े-खड़े पानी पीने से क्या-क्या दिक्कतें हो सकती हैं?


जवाब: ऐसा करने से हेल्थ रिलेटेड कई परेशानियों को फेस करना पड़ सकता है।

आयुर्वेद के अनुसार, इसका असर तुंरत नहीं दिखाई देता है, जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है वैसे-वैसे शरीर में दिक्कतें होना शुरू हो जाती हैं।

सवाल: डाइजेशन सिस्टम का खड़े होकर पानी पीने से क्या रिलेशन है?

जवाब: इससे पानी तेज स्पीड से फूड पाइप से होते हुए सीधे पेट के निचले हिस्से पर पहुंच जाता है। इससे आस-पास की लेयर्स में एक्स्ट्रा प्रेशर बनता है। जो खतरनाक होता है। इससे लिक्विड सबस्टेंस का बैलेंस बिगड़ जाता है। पेट दर्द और बदहजमी की शिकायत हो जाती है।

सवाल: तो फिर ये किडनी को कैसे इफेक्ट करता है?


जवाब: नेशनल लेवल मॉनिटरिंग की रिपोर्ट के मुताबिक, जब हम खड़े होकर पानी पीते हैं, तो पानी बिना फिल्टर हुए निचले पेट की तरफ तेजी से बढ़ता है। यह पानी में जमा इंप्योरिटीज को ले जाकर गॉलब्लैडर में जमा कर देता है। जो किडनी के लिए डेंजरस हो सकता है। इससे यूरिनरी ट्रैक्ट से जुड़ी कई बीमारियां हो सकती हैं।

सवाल: बहुत लोग बोलते हैं कि खड़े होकर पानी पीने से घुटने खराब हो जाते हैं क्या ये सही बात है?


जवाब: खड़े होकर पानी पीने की वजह से जोड़ वाले हिस्से में लिक्विड सबस्टेंस की कमी होने से दर्द के साथ कमजोरी आने लगती हैं। हड्डियां कमजोर होने के चलते गठिया या घुटने खराब होने जैसी बीमारी होने लगती है।

सवाल: हार्ट, लंग्स और ऑक्सीजन लेवल कैसे डिस्टर्ब होता है इससे?


जवाब: खड़े होकर पानी पीने से जरूरी न्यूट्रिएंट्स और विटामिन लिवर और डाइजेस्टिव सिस्टम तक नहीं पहुंच पाते हैं। जिससे लंग्स और हार्ट का काम प्रभावित होता है। इससे ऑक्सीजन लेवल गड़बड़ हो जाता है।

इसी वजह से कई बार एकदम से पानी पीने पर सीने में तेज चुभन वाला दर्द होने लगता है।

सवाल: इनके अलावा खड़े-खड़े पानी पीने से कौन सी परेशानी होती हैं?


जवाब: ऐसा करने से स्ट्रेस लेवल भी बढ़ सकता है। असल में खड़े होकर पानी पीते हैं तो इसका डायरेक्ट असर हमारे नवर्स सिस्टम पर पड़ता है। इस तरह से पानी पीने से न्यूट्रिएंट्स पूरी तरह से बेकार हो जाते हैं और शरीर टेंशन की पोजिशन में आ जाता है।

सवाल: पानी पीने का सही तरीका क्या है?


जवाब: एक्सपर्ट्स के मुताबिक, पानी पीने का सही तरीका है बैठकर पीना। कुर्सी पर बैठें, पीठ को सीधा रखकर रिलैक्स होकर ही पानी पिएं।

सवाल: खड़े होकर पानी पीने के नुकसानों को तो जान गए, अब बैठकर पानी पीने से क्या फायदा होता है ये बताएं?


जवाब: 

बैठकर पीने से ये शरीर के सभी हिस्सों तक अच्छे से पहुंचता है।


शरीर को पानी की जितनी जरूरत होती है, उतना पानी शरीर अच्छे से अब्सॉर्ब कर लेता है। बाकी हार्मफुल सबस्टेंस यूरिन के जरिए बाहर निकल जाते हैं।


ऐसे पानी पीने से खून में हार्मफुल सबस्टेंस नहीं घुलते और खून साफ रहता है।


बैठकर धीरे-धीरे पानी पीने से इलेक्ट्रोलाइट्स बैलेंस अच्छा बना रहता है और शरीर को जरूरी मिनरल्स मिलते रहते हैं।


न्यूट्रिएंट्स दिमाग तक पहुंचते हैं और ब्रेन एक्टिविटी में सुधार आता है।


डाइजेशन इंप्रूव होता है और पेट में सूजन या पेट फूलने की दिक्कत नहीं होती है।

सवाल: दूध पीने का सही तरीका क्या है?


जवाब: दूध खड़े होकर पीना चाहिए।

सवाल: अब खड़े होकर दूध पीने के पीछे क्या वजह है?


जवाब: दूध खड़े होकर पीने से ये शरीर के सभी हिस्सों तक आसानी से पहुंच जाता है और जल्दी एब्जॉर्ब होने लगता है। इससे शरीर को सभी न्यूट्रिएंट्स मिल पाते हैं।

दूध ठंड, वात और पित्त दोष को बैलेंस करने का काम करता है। इसलिए बैठकर दूध पीने वालों को हाजमे की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

यही वजह है कि आयुर्वेद में रात को सोने से पहले या शाम को डिनर करने के दो घंटे बाद दूध को हल्का गर्म करके खड़े होकर पीने की सलाह दी जाती है।