Earth Secrets: उल्टी दिशा में घूमने लगेगी धरती, आ सकता है प्रलय! आज से इतने दिन बाद रुक जाएगी धरती

Earth Secrets: पृथ्वी से जुड़े कई ऐसे रहस्य जिन्हें बेपर्दा करने के लिए वैज्ञानिक दिन रात मेहनत कर रहे हैं। पृथ्वी को लेकर जारी खोज में बहुत पहले यह पता चला था कि पृथ्वी का केंद्र एक दिन घूमना बंद कर देगा और इसके कुछ ही देर बाद पृथ्वी उल्टी दिशा में घूमने लगेगी।
पृथ्वी का केंद्र जब रुकेगा तब क्या होगा? क्या इसकी वजह से प्रलय आएगा? क्या पृथ्वी का केंद्र रुकते ही विनाशकारी भूकंप आएगा?
आइये आपको बताते हैं पृथ्वी से जुड़ी इस घटना और इसके प्रभाव के बारे में।
पहले यह जान लेना जरूरी है कि पृथ्वी का केंद्र घूमता रहता है। गर्म और ठोस लोहे के अंदरूनी गोले के घूमने की वजह से ही पृथ्वी पर मैग्नेटिक फील्ड और गुरुत्वाकर्षण है। इस केंद्र के एक ही दिशा में घूमने की वजह से ही पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण है।
अब बात करते हैं उस घटना के बारे में जब पृथ्वी का केंद्र चक्कर लगाना बंद कर देगा।
आपको बता दें कि वैज्ञानिकों और भूकंप विज्ञानियों ने अपनी रिसर्च में पाया है कि पृथ्वी के कोर की घुमाव दिशा में बदलाव होने वाला है। ऐसा होने के पहले केंद्र कुछ देर के लिए घूमना बंद करेगा। Nature Geoscience में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार पृथ्वी के केंद्र के घूमने की वजह से ही ऊपरी सतह को स्थिरता मिलती है।
Seismologists report that after brief but peculiar pauses, the inner core changes how it spins — relative to the motion of Earth’s surface — perhaps once every few decades. And, right now, one such reversal may be underway. https://t.co/Z0xp6xqjDJ
— NYT Science (@NYTScience) January 24, 2023
Seismologists report that after brief but peculiar pauses, the inner core changes how it spins — relative to the motion of Earth’s surface — perhaps once every few decades. And, right now, one such reversal may be underway. https://t.co/Z0xp6xqjDJ
— NYT Science (@NYTScience) January 24, 2023
केंद्र के घूमने की दिशा में करीब हर 70 साल बाद बदलाव होता है। लगभग 17 साल के अंदर यह बदलाव होगा और पृथ्वी का केंद्र उल्टी दिशा में घूमने लगेगा।
अब इसके प्रभाव के बारे में बात करते हैं। पृथ्वी के केंद्र की घूमने की दिशा में बदलाव आने से धरती न तो फटेगी और न ही कोई प्रलय आएगा।
इस घटना के कारण न तो पृथ्वी पर असर पड़ेगी न ही इस ग्रह पर रहे जीवों पर। इसकी खोज साल 1936 में हुई थी। डच भूकंप विज्ञानी इंगे लेहमैन ने इसकी खोज की थी।