पुरानी कहावत है, अगर कुछ करने की चाहत हो तो कोई भी बाधा रास्ता नहीं रोक सकती है. बिहार की सिन्नी सोश्या की भी ऐसी ही कहानी है. एक साधारण परिवार में जन्म लेने वाली सिन्नी ने अपनी मेहनत के दम पर कुछ ऐसी सफलता हासिल की है कि अब उनकी सफलता को लेकर लोग दूसरों को मिसाल देते हैं. बेगूसराय की रहने वाली और पटना कला महाविद्यालय से कला की स्टडी करने वाली सिन्नी की कहानी वैसे लोगों के लिए किसी सीख से कम नहीं है जो जीवन में कुछ अलग करना चाहते हैं.
एक कोचिंग चलाने वाले पिता और PMCH में नर्स मां की बेटी सिन्नी की पहचान पहले मेहंदी लगाने वाली आर्टिस्ट के रूप में थी, लेकिन अब सिन्नी पहचान वैसे कलाकारों के रूप में होती है, जो न केवल एक फेमस आर्टिस्ट है बल्कि दूसरों को भी आर्ट सिखाने वाली की है. करीब सात साल पहले राजधानी के भारतीय नृत्य कला मंदिर में एक कला प्रदर्शनी लगी हुई थी. कला प्रदर्शनी को देखने के लिए हर बार की तरह तमाम लोग आये हुए थे.
रेलवे के CEO ने किया कॉल
उनमें रेलवे के सीईओ भी आये हुए थे. हालांकि, उनके आने के बारे में सिन्नी को जानकारी नहीं थी. प्रदर्शनी खत्म होने के बाद सिन्नी एक जरूरी काम से दिल्ली चली गई थी. इसी दौरान सिन्नी के पास एक कॉल आई. कॉल करने वाले ने कहा कि वो भारतीय रेल के सीईओ बोल रहे हैं. हमारे पास एक प्रोजेक्ट है. जिसके बारे में आपसे बात करनी है. सिन्नी को उसी दिन बिहार बुलाया जा रहा था, जबकि सिन्नी में दिल्ली में मौजूद थी.
अधिकारियों ने सिन्नी को पटना बुलाया
सिन्नी ने बताया कि मुझे तब तक यह समझ में नहीं आया था कि यह क्या हो रहा है? मैंने इस बारे में अपने गुरुजी को जानकारी दी. उन्होंने पूरी बात सुनने के बाद कहा कि यह बेहतर मौका है. चाहे जैसे भी हो, तुम पटना आ जाओ. मैं पटना आई, वरिष्ठ अधिकारियों से बातें की और फिर मुझे काम मिल गया. सिन्नी बताती हैं, भारतीय रेल के वरिष्ठ अधिकारियों को पेंटिंग तो करानी थी, लेकिन उनको आर्ट के बारे में उतनी गहरी जानकारी नहीं थी.
चार डिब्बों पर बनाई पेंटिंग
उन्होंने मुझसे ही थीम के बारे में पूछा. तब मेरे दिमाग में बिहार की बेटियों के बारे में ख्याल आया. उस थीम के बारे में मैंने उन्हें जानकारी दी. मेरी थीम रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों को पसंद आई. मैंने उन्हें एक पैंटिंग बनाकर दिखाई जिसके बाद मुझे काम मिल गया. सिन्नी बताती हैं, जब मुझे यह काम मिला तब शुरू में मुझे राजधानी एक्सप्रेस के चार डिब्बों पर पेंटिंग करने को कहा गया था.
118 डिब्बों पर देखी जा सकती है पैंटिग
इसमें एक डिब्बे पर मैंने काम पूरा भी कर दिया. फिर समय की कमी सामने आने लगी. चूंकि कम वक्त में इस काम को पूरा करना था. मैंने इसे कैनवास पर पेंट किया और उसके बाद विनाइल प्रिंट कर के उसे स्टीकर में कंवर्ट कर दिया, जिसके बाद मैंने उसे डिब्बे पर चिपका दिया. सिन्नी द्वारा बनायी गई पेंटिंग पटना से दिल्ली के लिए खुलने वाली राजधानी एक्सप्रेस के 118 डिब्बों में देखी जा सकती हैं.
डिब्बों पर बनाई भगवान बुद्ध पैंटिग
इसके अलावा पटना नई दिल्ली हमसफर एक्सप्रेस में भी ये पेंटिंग लगी हुई हैं. इन सभी डिब्बों पर एक ही कहानी उकेरी गई है. सिन्नी बताती हैं, इस काम के बाद उनको भारतीय रेल के दो अन्य डिब्बों पर भी पेंटिंग करने का मौका दिया गया. इन पर सिन्नी ने भगवान गौतम बुद्ध के जीवन के विभिन्न पहलुओं को उकेरा है. इन डिब्बों पर सिन्नी ने विभिन्न रंगों के माध्यम से भगवान बुद्ध के जन्म से लेकर उनके अध्यात्म तक के जीवन को दर्शाया है.
बनाई मधुबनी पेंटिंग
कुछ ट्रेन के डिब्बों पर मधुबनी पेंटिंग को उकेरा गया है. पूरे देश में संभवत: यह पहली राजधानी ट्रेन है, जिसपर पेंटिंग की गई है, जिससे इस ट्रेन का पूरा लुक ही अलग लगता है. अपने व्यस्त दिनचर्या के बाद सिन्नी ने कुछ अलग कदम भी उठाया है. एक तरफ वह जहां अपनी पेंटिंग को जारी रखे हुए है, वहीं दूसरी तरफ वह वैसे लोगों को पेंटिंग भी सिखाती है, जिनका रूझान पेंटिंग की तरफ होता है.
आर्ट की तरफ झुकाव से जीवन को मिली दिशा
इसके लिए सिन्नी ने अपनी एक छोटी सी कार्यशाला को भी तैयार किया है. सिन्नी कहती हैं, मेहंदी लगाने की शुरुआत और उसके बाद आर्ट की तरफ हुए झुकाव ने मेरे जीवन को एक नई दिशा दे दी. मैं मेहंदी लगाने के साथ ही कैनवस पेपर पर ड्राइंग भी किया करती थी. पता नहीं था, मेरा झुकाव ही मेरा जुनून बन जाएगा. अब मेरा एक ही उद्देश्य है कि आर्ट के क्षेत्र में जितना बेहतर हो सके, मुझे करना है.